IHRPPA
International Human Rights Public Protection Association
भारत, संयुक्त राष्ट्र के उन प्रारंभिक सदस्यों में शामिल था जिन्होंने 01 जनवरी ,1942 को वाशिंगटन में संयुक्त राष्ट्र धोषणा पर हस्ताक्षर किए थे तथा 25 अप्रैल से 26 जून, 1945 तक सेन फ्रांसिस्को में ऐतिहासिक संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन सम्मेलन में भी भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत, संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों का पुरजोर समर्थन करता है और चार्टर के उद्देश्यों को लागू करने तथा संयुक्त राष्ट्र के विशिष्ट कार्यक्रमों और एजेंसियों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
अंग्रेजो से स्वतंत्रता होने के पश्चात भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपनी सदस्यता को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने की एक महत्वपूर्ण गारंटी के रूप में देखा। भारत, संयुक्त राष्ट्र के उपनिवेशवाद और रंगभेद के विरुद्ध संघर्ष के अशांत दौर में सबसे आगे रहा। भारत औपनिवेशिक देशों को स्वतंत्रता दिये जाने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र की ऐतिहासिक धोषणा 1960 का सह-प्रायोजक था जो उपनिवेशवाद के सभी रुपों और अभिव्यक्तियों को बिना शर्त समाप्त किए जाने की आवश्यकता की धोषणा करती हैं। भारत राजनीतिक स्वतंत्रता समिति (24 की समिति का पहला अध्यक्ष भी निर्वाचित हुआ था जहां उपनिवेशवाद की समाप्ति के लिए उसके अनवरत प्रयास रिकार्ड पर है।
भारत, दक्षिण अफ्रीका में रंग भेद और नस्लीय भेदभाव के सर्वाधिक मुखर आलोचकों में से था। वस्तुत: भारत संयुक्त राष्ट्र 1946 में इस मुद्दे को उठाने वाला पहला देश था और रंग भेद के विरुद्ध आम सभा द्वारा स्थापित उप समिति के गठन में अग्रणी भूमिका निभाई थी।
गुट निरपेक्ष आंदोलन और समूह 77 के संस्थापक सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था में भारत की हैसियत विकासशील देशों के सरोकारों और आकांक्षाओं तथा अधिकाधिक न्यायसंगत अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना के अग्रणी समर्थक के रूप में मजबूत हुई।
भारत सभी प्रकार के आतंकवाद के प्रति पूर्ण असहिष्णुता के दृष्टिकोण का समर्थन करता रहा है। आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक व्यापक कानूनी रुपरेखा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत ने 1996 में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के सम्बन्ध में व्यापक कन्वेंशन का मसौदा तैयार करने की पहल की थी और उसे शीध्र अतिशिध्र पारित किए जाने के लिए कार्य कर रहा है।
भारत का संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना अभियान में भागीदारी का गौरवशाली इतिहास रहा है और यह 1950 के दशक से ही इन अभियानों में शामिल होता रहा है। अब तक भारत 43 शांति स्थापना अभियानों में भागीदारी कर चुका है।
भारत,प्रमाणु हथियारों से संपन्न एक मात्र ऐसा राष्ट्र है जो प्रमाणु हथियारों को प्रतिबंधित करने और उन्हें समाप्त करने के लिए परमाणु अस्त्र कन्वेंशन की अस्पष्ट रुप से मांग करता रहा है। भारत समयवदध, सार्वभौमिक, निष्पक्ष, चरणबद्ध और सत्यापन योग्य रुप में परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है जैसा कि सन् 1998 में आम सभा के निरस्तीकरण से सम्बंधित विशेष अधिवेशन में पेश की गई राजीव गांधी कार्य योजना में प्रतिबिंबित होता है।
आज भारत स्थायी और अस्थाई दोनों वर्गो में सुरक्षा परिषद के विस्तार के साथ साथ संयुक्त राष्ट्र सुधारों के प्रयासों में सबसे आगे हैं ताकि वह समकालीन वास्तविकताओं को प्रर्दशित कर सकें।
जून 2020 में भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य चुना गया है। यह भारत का दो साल का कार्यकाल 1जनवरी 2021 से प्रारंभ होगा। संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में भारत आठवीं बार प्रतिष्ठित सुरक्षा परिषद के निर्वाचित हुआ है। इससे पूर्व 1950-51,1967-68,1972-73,1977-78,1984-85,1991-92 और 2011-12 में भारत सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य रहा है।
भारत में संयुक्त राष्ट्र के 26 संगठन सेवाएं दे रहे हैं। स्थानीय समन्वयक (रेजिडेंट कोर्डिनेटर), भारत सरकार के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के मनोनीत प्रतिनिधि हैं। संयुक्त राष्ट्र भारत को रणनीतिक सहायता देता है ताकि वह गरीबी और असमानता मिटाने की अपनी आकांक्षाएं पूरी कर सकें तथा वैश्विक स्तर पर स्वीकृत सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप सतत् विकास को बढ़ावा दे सके। संयुक्त राष्ट्र, विश्व में सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को तेजी से बदलाव और विकास प्राथमिकताओं के प्रति महत्त्वाकांक्षी संकल्पों को पूरा करने में भी समर्थन देता है।
सतत् विकास लक्ष्य सहित 2030 के एजेंडा के प्रति भारत सरकार के दृढ़ संकल्प का प्रमाण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बैठको में प्रधानमंत्री और सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों के वक्तव्यों से मिलता है। भारत के राष्ट्रीय विकास लक्ष्य और समावेशी विकास के लिए सबका साथ सबका विकास नीतिगत पहल सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप है और भारत दुनियाभर में सतत् विकास लक्ष्यों की सफलता निर्धारित करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा है ।इन लक्ष्यों से हमारे जीवन को निर्धारित करने वाले सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय पहलुओं के बारे में हमारी विकसित होती समझ की झलक मिलती है।